Saturday, May 7, 2016

Er Rational musings #485

Er Rational musings #485



https://youtu.be/7lSpvplWIW8



आज से पहले, आज से ज़्यादा

खुशी आज तक नहीं मिली

इतनी सुहानी, ऐसी मीठी

घड़ी आज तक नहीं मिली



इसको संजोग कहें या किस्मत का लेखा

हम जो अचानक मिले हैं

मनचाहे साथी पा के हम सबके चेहरे

देखो तो कैसे खिले हैं

(इन) तकदीरों को, जोड़ दे ऐसी

कड़ी आज तक नहीं मिली

आज से पहले आज से ज़्यादा...



सपना हो जाये वो पूरा जो हमने देखा

ये मेरे दिल की दुआ है

ये पल जो बीत रहे हैं इनके नशे में

दिल मेरा गाने लगा है

(हम) इसी खुशी को, ढूंढ रहे थे

यही आज तक नहीं मिली

आज से पहले आज से ज्यादा...



दिल में तूफान उठा है होंठों पे नगमा

आँखों में आंसू खुशी के

सपनों के पास पहुँच के सपनों से दूरी

ऐसा ना हो संग किसी के

कोई कहे ना मंज़िल मुझको

मिली आज तक नहीं मिली

आज से पहले आज से ज्यादा...



गीतकार : रविन्द्र जैन,

गायक : येशुदास,

संगीतकार : रविन्द्र जैन,

चित्रपट : चितचोर (१९७६)



माझ्या एका मित्राची आई म्हणालेली आठवतय की तित्तचोर बघून आलात का? आम्ही म्हणालोतो चितचोर ग, चित्तचोर नाही, तर म्हणलीवती की तेच ते!



तर, चितचोर मधली येसूदास नी गायलेली गाणी अत्यंत श्रवणीय आहेत, अँकाँर्डियन चा उत्तम वापर या चित्रपटांत केलाय.



अमोल पालेकर, झरिना वहाब हे निरागस चेहेरे या निरागस सिनेमात बघायला खूप छान वाटलवत. एके हनगल, दीना पाठक, मास्टर राजू व विजयेंद्र घाटगे, या छोटेखानी सरधोपट पण शांतचित्त सिनेमात होते.



गोरी तेरा गाँव बडा प्यारा असो वा तूजो मेरे सूर में असो, हेमलता येसूदास छा जाते हैं दिल में.



#शांत झोप #good night #sleep tight #Sweeet dreams...

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मिलिंद काळे, 7th May 2016

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