Monday, March 21, 2016

Er Rational musings #445

Er Rational musings #445



https://youtu.be/QvmLstItg1Q



उठा उठा हो सकळिक , वाचे स्मरावा गजमुख

ऋद्धि-सिद्धिंचा नायक , सुखदायक भक्तांसी



अंगी शेंदुराची उटी, माथां शोभतसे कीरिटी

केशर कस्तूरी लल्लाटीं, हार कंठी साजिरा



कानीं कुंडलांची प्रभा, सूर्य-चंद्र जैसे नभा

माजी नागबंदी शोभा, स्मरतां उभा जवळी तो



कांसे पीतांबराची धटी, हाती मोदकांची वाटी

रामानंद स्मरतां कंठी, तो संकटी पावतो



गीतकार : रामानंद,

गायिका : लता मंगेशकर,

संगीतकार : पं हृदयनाथ मंगेशकर

गीतसंग्रह : आरती संग्रह (गीते गजाननाची)



आद्य देवता गणरायाला वंदन करून, मनोभावे कामाला लागूया.



[We Indians work on Rocket Science; we don't move unless our a** is on fire!]



असो. सुप्रभात, गुड मॉर्निंग.



इस् स्टार्ट, इस्स्टार्ट, eStart करूया...

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मिलिंद काळे, 22nd March 2016

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