Er Rational musings #410
माझं अत्तिशय आवडत गाणं...
https://youtu.be/vTQ_qbsz7Dw
दिल आज शायर है, ग़म आज नग्मा है, शब ये ग़ज़ल है सनम
गैरों के शेरों को ओ सुननेवाले, हो इस तरफ भी करम
आके ज़रा देख तो तेरी खातिर हम किस तरह से जिये
आँसू के धागे से सीते रहे हम जो जख्म तूने दिये
चाहत की महफ़िल में गम तेरा लेकर किस्मत से खेला जुआं
दुनिया से जीते, पर तुझसे हारे, यूँ खेल अपना हुआ
है प्यार हमने किया जिस तरह से, उसका न कोई जवाब
जर्रा थे लेकिन तेरी लौ में जलकर, हम बन गये आफताब
हमसे है ज़िंदा वफ़ा और हम ही से है तेरी महफ़िल जवां
हम जब ना होंगे तो रो रो के दुनिया ढूँढेगी मेरे निशान
ये प्यार कोई खिलौना नहीं है हर कोई ले जो खरीद
मेरी तरह जिंदगी भर तड़प लो, फिर आना इस के करीब
हम तो मुसाफिर है, कोई सफ़र हो हम तो गुजर जायेंगे ही
लेकिन लगाया है जो दाँव हमने वो जीतकर आयेंगे ही
गीतकार : नीरज,
गायक : किशोर कुमार,
संगीतकार : सचिनदेव बर्मन,
चित्रपट : गॅम्बलर (१९७१)
देवानंद जा़हिदा...
A poker faced gambler Raja (Dev Anand) falls in love with a wealthy beauti Chandra (Zaheeda).
Laced with words, thick words, heavy words. Expressed for his passion, one n only, intimate n ultimate goal. His ego bruised, his overtone falling short of expected echo. Overcoming fear of losing, Dev Anand tries to convey his profound love, care and true feelings to synchronise wavelengths.
Interesting climaxing movie end...
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मिलिंद काळे, 5th March 2016
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