Wednesday, February 17, 2016

Er Rational musings #389

Er Rational musings #389



प्रेमाला उच्चत्व, दैवीत्व, व अमरत्व देणारे काव्य.

मालकी हक्क, आपसूकच स्वामीत्व गाजवणारं काव्य.



A is A.

No contradiction.

A Statement of pure fact.



खय्याम साब, इतकं कमीत कमी पण परिणामकारक, भावाची अचूक नेमकी नस पकडणारं बँकग्राऊंड स्कोअर.



आयुष्यभराची पूंजी, त्यातलच एक गाणं!



कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

के जैसे तुझ को बनाया गया है मेरे लिए

तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कही तुझे जमीं पे बुलाया गया है मेरे लिए



कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

के ये बदन ये निगाहें, मेरी अमानत हैं

ये गेसुओं की घनी छाँव हैं मेरी खातिर

ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं



कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

के जैसे बजती हैं शहनाईयां सी राहों में

सुहाग रात है घूंघट उठा रहा हूँ मैं

सीमट रही है, तू शरमा के अपनी बाहों में



कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्रभर यूही

उठेगी मेरी तरफ प्यार की नजर यूं ही

मैं जानता हूँ के तू गैर है मगर यूं ही



गीतकार : साहिर लुधियानवी,

गायक : मुकेश,

संगीतकार : खय्याम,

चित्रपट : कभी कभी (१९७६)



A Musing, in fact...

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मिलिंद काळे, 18th February 2016

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