Saturday, January 30, 2016

Er Rational musings #350

Er Rational musings #350



After a hard day, relaxation guaranteed. उत्तररात्र आपलीच आहे.



Flip thru' Mastiii, Music India, Sony Mix, 9xJalwa, E24 n B4U Music.



Gorgeous Nanda, Beautiful Sharmila, Charming Babita, Ravishing Moushmi, Stunning Mumtaj, Lovely Saira Banu, Enchanting Asha Parekh, Exquisite Waheeda, Magnificent Mala Sinha, Charming Nutan and Delightful Kalpana.



Tonight's first prize goes to



ऐ गुलबदन, ऐ गुलबदन

फूलों की महक, काँटों की चुभन

तुझे देख के कहता है मेरा मन

कही आज किसी से मोहब्बत ना हो जाये



क्या हसीन मोड़पर आ गयी जिंदगानी

के हक़ीकत न बन जाये मेरी कहानी

जब आहें भरे ये ठंडी पवन, सीने में सुलग उठती है अगन



क्या अजीब रंग में सज रही है खुदाई

के हर चीज मालिक ने सुंदर बनायीं

नदिया का चमकता है दर्पन, मुखड़ा देखे सपनों की दुल्हन



मैं तुम ही से यूँ आँखें मिलाता चला हूँ

के तुम ही को मैं तुम से चुराता चला हूँ

मत पूछ मेरा दीवानापन आकाश से उँची दिल की उड़न



गीतकार : हसरत जयपुरी,

गायक : मोहम्मद रफी,

संगीतकार : शंकर जयकिशन,

चित्रपट : प्रोफेसर (१९६२)



सदाबहार शम्मी, गर्ल नेक्स्ट डोअर वाटावी इतकीच, पण इतकीss सुंदर कल्पना. डायरेक्ट प्रेमाची साद समोरासमोर आर्जवी लाघवी पणे घालणारा शम्मी व कळत नकळत आपसूक त्याच्याकडे लोहचुंबका सारखी ओढली जाणारी कल्पना, बहोत खूब! (हे असं डायरेक्टली आँन द फेस ज्याला जमलं तो, जो जीता वही सिकंदर, रेस्ट 'अल्सो रँन'!!)



माझं फेवराईट गाणं व सिनेमा सुध्दा...

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मिलिंद काळे, 31st January 2016

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