Er Rational musings #340
मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में हैं जानम, मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते
ये रात हैं या, तुम्हारी जुल्फे खुली हुयी है
है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी राते धुली हुयी है
ये चाँद है, या तुम्हारा कंगन
सितारे है, या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है, या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों की हैं सरसराहट, के तुम ने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
के जब के, मुझको को भी ये खबर है, के तुम नहीं हो, कही नहीं हो
मगर ये दिल हैं के कह रहा है, तुम यही हो, यही कही हो
तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करने वाले, तू जहाँ हैं मैं वहाँ हूँ
हमे मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते
मेरी सांस सांस महके, कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है, मेरा दिल हैं जैसे आँगन
हुयी और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते
मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तनहाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहुत कुछ हैं मगर किस से कहे हम
कब तक यूँ ही खामोश रहे हम और सहे हम
दिल कहता हैं दुनियाँ की हर एक रस्म उठा दे
दीवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे
क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दे
हां हम को मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी
Movie: Silsila / 1981
Music: Shiv-Hari / Hariprasad Chaurasia / Shivkumar Sharma
Lyrics: Javed Akhtar
Singers: Amitabh Bachchan, Lata Mangeshkar
आई शप्पथ, काय गाणं आहे यार. काय बोलावं?
(Incidentally, Rekha was awarded 'Yash Chopra Smruti Puraskar' today.)
प्रेम कहाण्या अधूऱ्या च रहायचाच जमाना होता तो; पडद्यावर (व प्रत्यक्षात देखील) ☺
ट्रँजेडी किंवा त्रांगडं. तेव्हाचं. एकतर्फी प्रेम - तथाकथित प्रेयसी चा नकार, झिडकारणं, अव्हेरणं व धुडकावून लावणं. समज, गैरसमज. विश्वास, अविश्वास. एकी कडूनच प्रियकराचे साद घालणं, आपणच झूरणं, ओढवून घेतलेली वैफल्यग्रस्तता. उगीचच. {अरे मूर्ख माणसा, ती तूला लायकच नव्हती रे.} वेस्टेज आँफ हिज टाईम अँड हर टाईम अल्सो. 😪
काही वेळा केवळ निव्वळ परिस्थिति, सिलसिला सारखी. नशीबाचे पत्ते. 😍
रे (रेखा) अमिताभा...
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मिलिंद काळे, 25th January 2016
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