Monday, August 17, 2015

Er Rational Musings.

फिनिक्स 1:

विस्तीर्ण माळरान, अथांग अमर्याद
दशभूजा दशदिशा, एक एकांगी भ्रतार
निर्विकार निर्विवाद निर्विचार भाव
निश्चय चित्त एकाग्र, परिपूरक नजर


गिळण गवसण झेपण, प्रक्षेपणास सिद्ध
बाजूबाहू गोंजारून प्रफुल्लित झेप
जसा जणू कोणी मार्गस्थित पंथस्त
नवआनंद, नवचैतन्य, नवकाहूर, गाजवत
सजवत मुक्त मोकळा-कोवळा फिनिक्स!
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Milind Kale, 17th August 2015

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